खूबसूरत
दिन, पहर, क्षण,
पल, हुआ
तुम मिले तो
सच कहें
मंगल हुआ!
पुण्य जन्मों का फला,
तो छट गयी
मन की व्यथा
जिंदगी की पुस्तिका में,
जुड़ गयी
नूतन कथा
ठूँठ-सा था मन
महक,
संदल हुआ।
वेद की पावन
ऋचा या,
मैं कहूँ तुम हो शगुन
मीत! मन की
बाँसुरी पर
छेड़ते तुम प्रेम धुन
पा, तुम्हें यह
तप्त मन
शीतल हुआ।
लाभ-शुभ ने
धर दिए हैं
द्वार पर दोनों चरण
विश्व की सारी
खुशी आकर करे
अपना वरण
प्रश्न मुश्किल
जिंदगी
का हल हुआ।
-मनोज जैन मधुर
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