मैं तेरे पिंजरे का तोता
तू मेरे पिंजरे की मैना
यह बात किसी से मत कहना।
मैं तेरी आँखों में बंदी
तू मेरी आँखों में प्रतिक्षण
मैं चलता तेरी साँस-साँस
तू मेरे मानस की धड़कन
मैं तेरे तन का रत्नहार
तू मेरे जीवन का गहना
यह बात किसी से ...
हम युगल पखेरू हँस लेंगे
कुछ रो लेंगे कुछ गा लेंगे
हम बिना बात रूठेंगे भी
फिर हँसकर तभी मना लेंगे
अंतर में उगते भावों के
जज़्बात किसी से मत कहना
यह बात किसी से ...
क्या कहा, कि मैं तो कह दूँगी
कह देगी, तो पछताएगी
पगली इस सारी दुनिया में
बिन बात सताई जाएगी
पीकर प्रिय अपने नयनों की बरसात
विहँसती ही रहना
यह बात किसी से ...
हम युगों-युगों के दो साथी
अब अलग-अलग होने आए
कहना होगा तुम हो पत्थर
पर मेरे लोचन भर आए
पगली, इस जग के अतल सिंधु में
अलग-अलग हमको बहना
यह बात किसी से ...
-देवराज दिनेश