रेत से लिखो या जलधार से लिखो
मेरा है नाम इसे प्यार से लिखो
खोलकर हवाओं में जूड़े सौरभ के
ओस नम हथेली में इन्द्रधनु कसेंगे हम
फूलों से भर देंगे सूनी यात्राएँ
नीले जल में हिलते द्वीप में बसेंगे हम
पलकों की स्याही से
अधर की गवाही से
या बाहों के बन्दनवार से लिखो
मेरा है नाम इसे प्यार से लिखो
भरकर पूरनमासी चांँदनी शिराओं में
बाँहों में धार नदी निर्झर की जोड़कर
छोड़कर हिरन साँसों के चन्दन वन में
हम तुम बह जायेंगे लहरों को तोड़कर
पल से, चाहे छिन से,
या कि निमिष भर मन से
दो मंगल अक्षर त्योहार से लिखो
मेरा है नाम इसे प्यार से लिखो
-विनोद निगम
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