नए साल में
प्यार लिखा है
तुम भी लिखना
प्यार प्रकृति का शिल्प
काव्यमय ढाई आखर
प्यार सृष्टि पर्याय
सभी हम उसके चाकर
प्यार शब्द की
मर्यादा हित
बिना मोल, मीरा-सी बिकना
प्यार समय का कल्प
मदिर-सा लोक व्याकरण
प्यार सहज संभाव्य
दृष्टि का मौन आचरण
प्यार अमल है ताल
कमल-सी,
उसमें दिखना।
-डॉ0 अश्वघोष
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