Wednesday, July 13, 2022

नए साल में प्यार लिखा है

नए साल में
प्यार लिखा है
तुम भी लिखना

प्यार प्रकृति का शिल्प
काव्यमय ढाई आखर
प्यार सृष्टि पर्याय
सभी हम उसके चाकर
प्यार शब्द की
मर्यादा हित
बिना मोल, मीरा-सी बिकना

प्यार समय का कल्प
मदिर-सा लोक व्याकरण
प्यार सहज संभाव्य
दृष्टि का मौन आचरण
प्यार अमल है ताल
कमल-सी,
उसमें दिखना।

-डॉ0 अश्वघोष

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