Thursday, February 15, 2024

टूट-टूट कर प्यार किया बस

बिना कहे तुमने मुझसे क्यों
टूट-टूट कर प्यार किया बस

अलबत्ता तुम चले नहीं संग
रात अकेले ही है काटी
लेकिन सच है मैंने भी तो
चिंताएं ही तुमसे बाँटी
समाधान  जीते-जीते
मैंने तुमसे तकरार किया बस
टूट-टूट कर ...

दाना-पानी साथ-साथ में,
हँसी-ठिठोली इतना जाना
कल के सारे स्वप्न सुहाने
तुमने बस यूँ ही पहचाना
नींव बिछाती थकी सदा मैं,
मन में उठी गुबार जिया बस
टूट-टूट कर ...

बदसूरत पहलू होते तो
कन्नी काट-काट तुम जीते
अमृत भरा पराग स्वप्न धर
निष्ठा से लम्हों में रीते
तुमको प्रेम पता था केवल
मैंने जब पतवार जिया बस
टूट-टूट कर ...

दुनियादारी की रवायतें,
मशगूली भी कब भाती थी
लेकिन घर की दीवारों में
ही भर नींद तुम्हें आती थी
लड़ें-भिड़ें हम पास-पास ये
ही तुमने अधिकार जिया बस
टूट-टूट कर ...

-शीला पांडे

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