Monday, September 18, 2023

अच्छा लगता है

अब भी आँखों से
बतियाना अच्छा लगता है
हाथों में ले हाथ दबाना
अच्छा लगता है

अच्छा लगता है
कनखी से नज़रों का मिलना
नीले अधरों पर अड़हुल के
फूलों का खिलना
तेरा बल खाना
शर्माना अच्छा लगता है
साँसों का कुछ-कुछ गर्माना
अच्छा लगता है
अब भी आँखों से...

अच्छा लगता है
दाँतों से तिनके को टुँगना
तन से तन के छू जाने पर
सिहरन का उगना
समय पूछ कर
घड़ी मिलाना अच्छा लगता है
चुटकी, चुहल, चिकोटी,
ताना अच्छा लगता है
अब भी आँखों से...

अच्छा लगता
बूझ पहेली जीवन की लेना
टूट रहे तन का दुख
अँगड़ाई से ढँक देना
थके नयन में
सुबह सजाना, अच्छा लगता है
स्मृतियों पर रंग चढ़ाना
अच्छा लगता है
अब भी आँखों से...

-नचिकेता

6 comments:

Pragati said...

बहुत बढ़िया गीत! सुन्दर और सरल शब्दों में मन के मासूम भावों का सुन्दर चित्रण।

Alok Misra said...

सुन्दर बिम्बों से सजा अत्यंत खूबसूरत नवगीत

Alok Misra said...

सुन्दर बिम्बों से सजा उत्कृष्ट नवगीत

Anonymous said...

अति सुन्दर वर्णन, मन को अन्दर तक छू गया

Sonam yadav said...

अब भी आंखों से बतियाना अच्छा लगता है
बहुत अच्छा गीत

किरन सिंह said...

बहुत बहुत सुंदर गीत आँखों से बतियाना अच्छा लगता है सुंदर अभिव्यक्ति ।