तितलियों ने दिए रंग मुझे
और चिड़ियाँ चहक दे गईं
प्यार की चंद घड़ियाँ मुझे
फूल जैसी महक दे गईं
बारिशों ने इशारा किया
साथ आओ ज़रा झूम लो
देख लो रूप अपना खिला
आईने को ज़रा चूम लो
ये हवाएँ, घटाएँ सभी
मुझको अपनी बहक दे गईं
तितलियों ने...
ना को हाँ में बदलने में तुम
वाक़ई एक उस्ताद हो
सारी दुनिया अदृश हो गई
जबसे तुम मुझ में आबाद हो
भावनाएँ भी समिधाएँ बन
मीठी-मीठी दहक दे गईं
तितलियों ने...
चैन की सम्पदा सौंपकर
अनवरत इक तड़प को चुना
याद का एक स्वेटर यहाँ
नित उधेड़ा दुबारा बुना
लग रहा है कि लहरें मुझे
आज अपनी लहक दे गईं
तितलियों ने...
- डा० सोनरूपा
1 comment:
सुंदर गीत, प्रकृति से प्रेरित और सहज प्रवाह लिए। साझा गीत का बहुत आभार।
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