Saturday, December 09, 2023

तितलियों ने

तितलियों ने दिए रंग मुझे 
और चिड़ियाँ चहक दे गईं
प्यार की चंद घड़ियाँ मुझे 
फूल जैसी महक दे गईं

बारिशों ने इशारा किया
साथ आओ ज़रा झूम लो
देख लो रूप अपना खिला
आईने को ज़रा चूम लो
ये हवाएँ, घटाएँ सभी 
मुझको अपनी बहक दे गईं
तितलियों ने... 

ना को हाँ में बदलने में तुम 
वाक़ई एक उस्ताद हो
सारी दुनिया अदृश हो गई
जबसे तुम मुझ में आबाद हो
भावनाएँ भी समिधाएँ बन 
मीठी-मीठी दहक दे गईं
तितलियों ने... 

चैन की सम्पदा सौंपकर
अनवरत इक तड़प को चुना 
याद का एक स्वेटर यहाँ
नित उधेड़ा दुबारा बुना
लग रहा है कि लहरें मुझे 
आज अपनी लहक दे गईं
तितलियों ने... 

- डा० सोनरूपा 

1 comment:

प्रीति गोविंदराज said...

सुंदर गीत, प्रकृति से प्रेरित और सहज प्रवाह लिए। साझा गीत का बहुत आभार।