Saturday, December 09, 2023

जब से यह देखे हैं बतियाते नैन

जब से यह देखे हैं बतियाते नैन
फूलों की बरसा-से बरसाते बैन
डोल गया, डोल गया, डोल गया मन
जीवन में आया नयापन।

प्यार भरे मौसम की भाषा है मौन
अन्तर-पट जान गया, किसका है कौन
एक-दूसरे को आओ नैन मूँद देखें
जंजाली दुनिया को एक ओर फेकें
प्राण हमें एक मिला, गूँगे दो तन
जीवन में आया नयापन...

साँसों में घुलने लगी चम्पा की गंध
सदियों के टूट गए सारे अनुबंध
कल्पना के पंखों से आसमान छूलें
और कभी भावों के झूले पे झूलें
होने न पाए कभी प्रीति अपावन
जीवन में आया नयापन...

अलकों संग खेल रही चंदनी बयार
झुकी-झुकी पलकों में मुस्काए प्यार
फूल से कपोल हुए शर्म से गुलाबी
मदमाते नैन लगें जन्म के शराबी
कर रहा है तुम पे 'पवन' तन-मन अर्पन
जीवन में आया नयापन...

-पवन बाथम

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