Saturday, April 20, 2024

तब मिलूँगा

बारिशें न मन छुएँगी, स्वप्न आना छोड़ देंगे 
पतझरों से दुःख न होगा नैन दर्पन तोड़ देंगे 
तब मिलूँगा ! 
जब तुम्हे आशा न होगी, तब मिलूँगा !!

तुम दिखोगी मालिनों से बढ़ती कीमत पर झगड़ती 
फूल जूड़े में नही तुम, थाल में पूजा  के धरती 
हाथ घुटनों पर रखे बिन, बैठना-उठना असम्भव 
गालों के गड्ढे तुम्हारे, हँस हँसाना छोड़ देंगे 
तब मिलूँगा !!

आरती, ढेरों भजन और मंत्र सारे, श्लोक सारे 
इन में भूलोगी मेरे सब, गीत वो अपने  तुम्हारे 
डायरी गीतों की होगी, धूल खाती ताक में और-
गीतों की धुन पर भजन जब, भजनानन्दी जोड़ देंगे 
तब मिलूँगा !!

रूप के सन्ध्या-समय जब, हल्दी का उबटन हँसेगा 
बाग में फोटो खिंचाते, तुम पे कण्टकवन हँसेगा 
बाल कंघी में उलझकर, हाथ में आने लगेंगे-
प्यार के मानक तुम्हारे, मन की कोहनी मोड़ देंगे 
तब मिलूँगा !!

क्या करूँगा, द्वार पर जब पूछ लोगी, कौन हो तुम 
मैं अभागों-सा हँसूगा और तुम अनजान गुमसुम 
बीते दिन दस्तक न देंगे, देखकर मुझको अचानक -
मेरी यादों के पखेरू, छत ही तुम्हारी छोड़ देंगे 
तब मिलूँगा !!
       
        -रमेश शर्मा

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