नाचइ नदिया बीच हिलोर
बन मइँ नचइ बसन्ती मोर
लागइ सोरहों बसन्त को
बन मइँ नचइ बसन्ती मोर
लागइ सोरहों बसन्त को
सिंगार गोरिया
सूधे परइँ न पाँव‚
सूधे परइँ न पाँव‚
हिया माँ हरिनी भरै कुलाँचइँ
बैस बावरी मुँह बिदुराबइ‚
बैस बावरी मुँह बिदुराबइ‚
को गीता कउ बाँचइ
चिड़िया चाहै पंख पसार‚
चिड़िया चाहै पंख पसार‚
उड़िबो दूरि गगन के पार
माँगइ रसिया सों-
माँगइ रसिया सों-
मीठी मनुहार गोरिया
नाचइ नदिया बीच हिलोर....
गूँगे दरपन सों बतराबै
नाचइ नदिया बीच हिलोर....
गूँगे दरपन सों बतराबै
करि करि के मुँहजोरी
चोरी की चोरी याकै
चोरी की चोरी याकै
ऊपर सइ सीनाजोरी
अपनो दरपन अपनो रूप
अपनो दरपन अपनो रूप
फैली उजरी उजरी धूप
माँगइ अपने पै अपनो उधार गोरिया
नाचइ नदिया बीच हिलोर...
नैना वशीकरन चितवन मइँ
माँगइ अपने पै अपनो उधार गोरिया
नाचइ नदिया बीच हिलोर...
नैना वशीकरन चितवन मइँ
कामरूप को टोना
बोलइ तौ चाँदी की घंटी
बोलइ तौ चाँदी की घंटी
मुस्कावै तौ सोना
ज्ञानी भूले ज्ञान गुमान
ध्यानी जप तप पूजा ध्यान
लागै सबके हिये की हकदार गोरिया
नाचै नदिया बीच हिलोर...
साँझ सलाई लै के
ज्ञानी भूले ज्ञान गुमान
ध्यानी जप तप पूजा ध्यान
लागै सबके हिये की हकदार गोरिया
नाचै नदिया बीच हिलोर...
साँझ सलाई लै के
कजरा अँधियारे में पारो
धरि रजनी की धार गुसइयाँ
बड़ो गज़बु करि डारो
चन्दा बिन्दिया दई लगाय
नज़रि ना काहू की लगि जाय
लिखी विधिना नइँ
धरि रजनी की धार गुसइयाँ
बड़ो गज़बु करि डारो
चन्दा बिन्दिया दई लगाय
नज़रि ना काहू की लगि जाय
लिखी विधिना नइँ
किनके लिलार गोरिया
नाचइ नदिया बीच हिलोर...
–आत्म प्रकाश शुक्ल
नाचइ नदिया बीच हिलोर...
–आत्म प्रकाश शुक्ल
1 comment:
सुन्दर शब्दों का चयन और अद्भुत संयोजन। सुन्दर गीत।
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