रूप के हाथ में गीत जब धर दिया
रूप धीरे से बोला, ये क्या कर दिया?
क्या हुआ एक लम्बे सफर में मिले
क्या हुआ उम्र की दोपहर में मिले
एक पोखर को इस पे बड़ा नाज है
हम तो दरिया की बागी लहर से मिले
फूल से गात पर जब अधर धर दिये
फूल धीरे से बोला ये क्या कर दिया ?
तुम मिले कल्पना को जवानी मिली
तुम मिले भावना को कहानी मिली
तुम मिले साधना को समर्पण मिला
तुम मिले कामना को निशानी मिली
आँख ने आँख में नेह जब भर दिया
अश्रु धीरे से बोला ये क्या कर दिया?
रात को नींद मेरी चुराये कोई
प्रात में बाँसुरी धुन सुनाये कोई
देह की गंध को धूप में बाँटकर
पास मेरे रहे या बुलाये कोई
देह में प्राण ने चेतना भर दिया
श्वास धीरे से बोला ये क्या कर दिया?
ज्योति मुझको मिली चन्द्रमा की तरह
प्रीति मुझको मिली आसमां की तरह
एक समता मिली है बहन की तरह
एक ममता मिली मुझको माँ की तरह
संदली पाँव पर मैंने सर धर दिया
कोई धीरे से बोली, ये क्या कर दिया।
-कमल किशोर श्रमिक
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