Thursday, September 28, 2023

एक पेड़ चाँदनी

देवेन्द्र कुमार बंगाली  का  एक बहुत प्रसिद्ध नवगीत 




एक पेड़ चाँदनी
लगाया है आँगने
फूले तो आ जाना
एक फूल माँगने

ढिबरी की लौ
जैसी लीक चली आ रही
बादल का रोना है
बिजली शरमा रही
मेरा घर छाया है 
तेरे सुहाग ने 
फूले तो आ जाना...

तन कातिक 
मन अगहन
बार-बार हो रहा
मुझमें तेरा कुआर
जैसे कुछ बो रहा
रहने दो यह हिसाब 
कर लेना बाद में
फूले तो आ जाना...

नदी, झील सागर से
रिश्ते मत जोड़ना
लहरों को आता है
यहाँ-वहाँ छोड़ना
मुझको पहुँचाया है 
तुम तक अनुराग ने
फूले तो आ जाना...

एक पेड़ चाँदनी
लगाया है आँगने
फूले तो आ जाना
एक फूल माँगने ।

-देवेन्द्र कुमार बंगाली 

8 comments:

स्नेहा देव said...

बहुत सुंदर, मीठा गीत

डॉ विनीता कृष्णा said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

Vidya Chouhan said...

“रहने दो यह हिसाब
कर लेना बाद में”
कितनी भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
अत्यंत मनभावन गीत।

Anonymous said...

भावनाओं की चाँदनी के पेड़ में प्यार के फूल आने की प्रतीक्षा...सुंदर परिकल्पना! "मुझको पहुंचाया है तुम तक अनुराग ने " बेहद मधुर!
रेखा शर्मा

किरन सिंह said...

बहुत सुंदर प्रेम गीत फूले तो आ जाना एक फूल माँगने ।बंगाली जी की यह पंक्ति कि “ये हिसाब कर लेना बाद में” लाजवाब है ।

Sonam yadav said...

ढिबरी की लौ
जैसी लीक चली आ रही

मेरा घर छाया है
तेरे सुहाग ने

कितने अद्भुत प्रतिमान हैं
बहुत मधुर गीत

Sonam yadav said...

ढिबरी की लौ
जैसी लीक चली आ रही
बहुत मधुर गीत

बंगाली जी के अद्भुत प्रतिमान


बहुत बहुत शुभकामनाएं

सोनम यादव

प्रीति गोविंदराज said...

बेहद लयात्मक गीत, साझा हेतु धन्यवाद। 'तन कातिक, मन अगहन' कितने कोमल और अनोखे तरीके से प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है। भाव नदी में धीरे-धीरे बहती प्रस्तावना, अद्भुत प्रेमगीत।