Saturday, July 23, 2022

प्रेमगीत लिख डालो!

अम्बर से मेघ झरे, 
बरसा है पानी
प्रेमगीत लिख डालो, 
मिलजुलकर रानी

चाँदनी नहाई-सी, 
नवल देह पाँखुरी
जी चाहे भर-भर लूँ 
अपनी मैं आँजुरी
लोटपोट हो जाऊँ, 
पी मदिर जवानी
प्रेमगीत लिख डालो...

पलकों से अंक, 
अंग-अंग मैं बुहारूँ
ओठ से कपोलों पर 
चित्र-सा उतारूँ
तृप्ति तलक देखूँ, 
तव आँख आसमानी
प्रेमगीत लिख डालो...

छूने से लहराए, 
तन-मन में बीजुरी
साँस-साँस मधुर, 
मंद-मंद बजे बाँसुरी
दोहरे भुजपाशों में 
कंपित हो वाणी
प्रेमगीत लिख डालो...

दूधिया हथेली में, 
मेहँदी के बूटे
चले आए मेरे भी 
हाथों में टूटे
श्रावण की ऐसी ही
रीत है पुरानी
प्रेमगीत लिख डालो...

 -राममूर्ति सिंह 'अधीर'

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