मैं तेरे पिंजरे का तोता
तू मेरे पिंजरे की मैना
यह बात किसी से मत कहना।
मैं तेरी आँखों में बंदी
तू मेरी आँखों में प्रतिक्षण
मैं चलता तेरी साँस-साँस
तू मेरे मानस की धड़कन
मैं तेरे तन का रत्नहार
तू मेरे जीवन का गहना
यह बात किसी से ...
हम युगल पखेरू हँस लेंगे
कुछ रो लेंगे कुछ गा लेंगे
हम बिना बात रूठेंगे भी
फिर हँसकर तभी मना लेंगे
अंतर में उगते भावों के
जलजात, किसी से मत कहना
यह बात किसी से ...
क्या कहा, कि मैं तो कह दूँगी
कह देगी, तो पछताएगी
पगली इस सारी दुनिया में
बिन बात सताई जाएगी
पीकर प्रिय अपने नयनों की बरसात
विहँसती ही रहना
यह बात किसी से ...
हम युगों-युगों के दो साथी
अब अलग-अलग होने आए
कहना होगा तुम हो पत्थर
पर मेरे लोचन भर आए
पगली, इस जग के अतल सिंधु में
अलग-अलग हमको बहना
यह बात किसी से ...
-देवराज दिनेश
5 comments:
वाह सुंदर अभिव्यक्ति ये बात किसी से मत कहना ।
"मैं चलता तेरी सांस सांस
तू मेरे दिल की धड़कन"
प्रेम में आकंठ डूबे दो दिलों की दास्तान जो अनकही रह कर भी सब कुछ कह जाती है.
- रेखा शर्मा
अंतर में उठते भावों के जज़्बात किसी से मत कहना…बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति । रेणु चन्द्रा
"किसी से मत कहना..." का सुंदर आवर्तन बहुत कुछ कह गया।
सुंदर अभिव्यक्ति!
प्रेमियों के मन की बातों का सुंदर चित्रण। प्रेम में उठने वाले उद्गार मात्र प्रेमी समझते हैं, निष्ठुर दुनिया को उनकी बातें मात्र हास-परिहास लगती हैं। किसी के भाव समझने के लिए संवेदना आवश्यक होती है। देवराज दिनेश जी ने यह सब और प्रेमी-हृदयों में उठती तरंगों को बड़ी सुंदरता और सरलता से प्रस्तुत किया है।
- प्रगति टिपणीस
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