चाँदनी रात हो
आपका साथ हो,
रोज़ यूँ ज़िन्दगी से
मुलाकात हो!
मैं जगूँ, तुम जगो,
रात रानी जगे,
चाँदनी दूध में हो
नहाई लगे
गंध से बात हो
रूप सौगात हो,
अर्ध तन्द्रा में
डूबा हुआ प्रात हो!
चाँदनी रात हो...
प्यास तेरी प्रखर,
आस मेरी प्रबल,
आचमन आओ कर लें
प्रणय का सजल;
शीत-सी वात हो,
कंटकित गात हो,
प्राण, तन पर
मदन-शर का आघात हो!
चाँदनी रात हो...
पी परस्पर सुधा,
हों अलस से नयन,
तृप्ति का बिंदु पा ले,
हमारा मिलन;
जीत हो, मात हो,
प्रीत निष्णात हो,
शान्त पी पी पपीहे का
उत्पात हो!
चाँदनी रात हो...
-डॉ० मधु चतुर्वेदी
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