आज अगर तुम आ जाओ तो
मन वीणा का तार बजे
मन की तपती धरती पर फिर
प्रेम फुहार करो तुम
पथराई आँखों में खुशियों की
सौगात धरो तुम
शशि की निर्मल स्वच्छ चाँदनी में
मधुरिम शृंगार सजे
आज अगर तुम आ जाओ...
मीत प्रीत का गीत स्वरमयी
मन ही मन हम गायें
ना मैं बोलूँ, ना तुम बोलो
दोनों चुप हो जायें
सुख के सागर में खो जायें
चाहे ये संसार तजे
आज अगर तुम आ जाओ...
-शरद तैलंग
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